लोक आस्था और गुरुनानक के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है कार्तिक पूर्णिमा
स्टेट न्यूज इंडिया, महराजगंज
फणींद्र कुमार मिश्र
लोक मत व आस्था पर आधारित कार्तिक पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखती है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति, धर्म और आस्था का प्रतीक है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है, जिसे पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि का माध्यम माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाई जाती है। गुरु नानक जी ने समानता, मानवता और धर्मनिरपेक्षता का संदेश दिया। उन्होंने जाति, धर्म और वर्ग की सीमाओं को तोड़ते हुए प्रेम और करुणा का मार्ग अपनाने पर जोर दिया। उनके जीवन और शिक्षाओं ने समाज में समरसता और भाईचारे की भावना को मजबूत किया।
यह दिन हमें बताता है कि सच्चा धर्म मानवता की सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने में है। समाज के प्रत्येक वर्ग को बिना भेदभाव के साथ लेकर चलना और अपने कार्यों से दूसरों को प्रेरित करना ही धार्मिक जीवन का मूल उद्देश्य है।कार्तिक पूर्णिमा का संदेश हमें यह प्रेरणा देता है कि आस्था केवल कर्मकांडों तक सीमित न रहे, बल्कि हमारे विचार, व्यवहार और समाज के प्रति जिम्मेदारी में प्रकट हो। यह दिन धर्म और समाज के बीच संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है।